ओम मंत्र का महत्व और उसकी शक्ति
स्वामी अमितानंद
•
12 दिस्, 2025
•
5 मिनट
Spirituality
ओम क्या है?
ओम (ॐ) हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है। इसे प्रणव मंत्र भी कहा जाता है। यह सभी मंत्रों का सार और ब्रह्मांड की मूल ध्वनि मानी जाती है।
ओम का महत्व
ओम मंत्र का महत्व:
- यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का प्रतीक है
- यह सृष्टि, स्थिति और संहार का प्रतिनिधित्व करता है
- यह चेतना की सर्वोच्च अवस्था का प्रतीक है
- यह सभी वेदों का सार है
ओम का उच्चारण
ओम का उच्चारण तीन भागों में होता है:
- अ (A): जागृत अवस्था का प्रतीक
- उ (U): स्वप्न अवस्था का प्रतीक
- म (M): सुषुप्ति अवस्था का प्रतीक
तीनों के बाद आने वाली मौन अवस्था तुरीय (चौथी अवस्था) का प्रतीक है।
ओम जाप की विधि
- शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें
- आंखें बंद करें और शरीर को ढीला छोड़ दें
- गहरी सांस लें
- "ओम" का उच्चारण करें
- इसे 108 बार दोहराएं
- जाप के बाद कुछ समय मौन रहें
ओम जाप के लाभ
- मन की शांति मिलती है
- तनाव और चिंता कम होती है
- एकाग्रता बढ़ती है
- आध्यात्मिक विकास होता है
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है
- ऊर्जा का स्तर बढ़ता है
ओम का वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि ओम का उच्चारण:
- मस्तिष्क की तरंगों को स्थिर करता है
- हृदय गति को नियंत्रित करता है
- रक्तचाप को कम करता है
- तंत्रिका तंत्र को शांत करता है
निष्कर्ष
ओम मंत्र न केवल एक धार्मिक प्रतीक है बल्कि एक शक्तिशाली उपकरण भी है जो हमारे जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। नियमित रूप से ओम जाप करने से हम अपने जीवन में शांति और सुख प्राप्त कर सकते हैं।