वास्तु शास्त्र: घर की सकारात्मक ऊर्जा के लिए टिप्स
वास्तु विशेषज्ञ राजेश गुप्ता
•
12 दिस्, 2025
•
10 मिनट
Vastu
वास्तु शास्त्र क्या है?
वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो वास्तुकला, स्थान की ऊर्जा और पर्यावरण के बीच संबंध स्थापित करता है। यह हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने में मदद करता है।
वास्तु के मूल सिद्धांत
वास्तु शास्त्र पांच तत्वों पर आधारित है:
- पृथ्वी: स्थिरता और स्थायित्व
- जल: प्रवाह और शुद्धता
- अग्नि: ऊर्जा और उत्साह
- वायु: गति और परिवर्तन
- आकाश: अंतरिक्ष और विस्तार
घर की दिशाएं और उनका महत्व
- उत्तर: धन और समृद्धि का प्रतीक
- दक्षिण: नाम और यश का प्रतीक
- पूर्व: स्वास्थ्य और ऊर्जा का प्रतीक
- पश्चिम: सुख और आनंद का प्रतीक
- ईशान (उत्तर-पूर्व): सबसे शुभ दिशा, पूजा स्थल के लिए
- आग्नेय (दक्षिण-पूर्व): रसोई के लिए उपयुक्त
- नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम): मास्टर बेडरूम के लिए
- वायव्य (उत्तर-पश्चिम): अतिथि कक्ष के लिए
वास्तु के अनुसार घर की व्यवस्था
मुख्य द्वार
- मुख्य द्वार उत्तर, पूर्व या ईशान दिशा में होना चाहिए
- द्वार के सामने कोई बाधा नहीं होनी चाहिए
- द्वार पर स्वस्तिक या ओम का चिह्न लगाएं
रसोई
- रसोई आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) दिशा में होनी चाहिए
- खाना बनाते समय चेहरा पूर्व दिशा की ओर हो
- गैस स्टोव दक्षिण-पूर्व कोने में रखें
शयन कक्ष
- बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए
- सिर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर हो
- बेड के नीचे कुछ न रखें
पूजा स्थल
- पूजा स्थल ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा में होना चाहिए
- पूजा करते समय चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो
- पूजा स्थल हमेशा साफ और स्वच्छ रखें
वास्तु दोष के उपाय
- दर्पण का उपयोग करें
- पिरामिड रखें
- स्वस्तिक लगाएं
- सकारात्मक रंगों का उपयोग करें
- पौधे लगाएं
- प्राकृतिक प्रकाश का उपयोग करें
निष्कर्ष
वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करने से हम अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकते हैं।